Sunday, 26 June 2011
Friday, 24 June 2011
सीबीआई के लिए नहीं मानी सरकार, हुआ सचान का अंतिम संस्कार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की माया सरकार गरीबों और मजबूर लोगों के रहनुमा होने का दावा करती है लेकिन उसने दावे उस समय हवा हो गये जब एक मजलूम औरत अपने पति की मौत का रहस्य जानने उसके पास पहुंची। सरकार ने उस बेबस महिला की एक नहीं सुनी जिसके पति की लाश जेल के बाथरूम में पायी गयी थी।
हम बात कर रहे है डॉ सचान की। जिनकी पत्नी मालती सचान ने मायावती से गुहार लगाई कि इस मामले की सीबीआई जांच हो यहां तक की लाचार बीवी ने ये तक कहा कि वो अपने पति का अंतिम संस्कार तब तक नहीं करेगी जब तक उसके पति के साथ न्याय नहीं होता उसकी सीबीआई जांच नहीं होती लेकिन मायावती की ओर से ना तो कोई बयान आया और ना कोई उन्होंने प्रतिक्रिया दी।
जिससे लाचार होकर सचान के परिवार वाले झुक गये, उन्होंने अपनी ही जिद छोड़ दी और डॉ. सचान का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हो गये। आखिर कोई कब तक लाश का मुंह देखता रहता। सचान को मौत किस रूप में मिली ये तो अभी संस्पेंस के घेरे में हैं लेकिन उनकी लाश को तो शांति से अंतिम विदाई मिल सकती थी लेकिन वो भी नहीं हुआ।
डॉ. मालती के छलकते आंसू सिर्फ ये नहीं कह रहे थे कि उनका सरपरस्त चला गया बल्कि वो इस चीज को भी बयां कर रहे थे कि उत्तर प्रदेश में सरकार किसी की नहीं सुनती है। वो वही करती है जो वो चाहती है। उसकी लिस्ट में जरूरतमंदों की जरूरत नहीं है।
वो सिर्फ उन्ही की फाइलें खोलती है जिनसे उसे अपना हिसाब चुकता करना होता है। वो कभी भी उन पन्नों को पलटेने की कोशिश नहीं करती है जिन्हें आम और बेबस इंसान पढ़ने को कहता है। फिलहाल सचान की मौत का रहस्य क्या है ये तो किसी को नहीं पता लेकिन सरकार का सचान परिवार के प्रति उदासीनता बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
हम बात कर रहे है डॉ सचान की। जिनकी पत्नी मालती सचान ने मायावती से गुहार लगाई कि इस मामले की सीबीआई जांच हो यहां तक की लाचार बीवी ने ये तक कहा कि वो अपने पति का अंतिम संस्कार तब तक नहीं करेगी जब तक उसके पति के साथ न्याय नहीं होता उसकी सीबीआई जांच नहीं होती लेकिन मायावती की ओर से ना तो कोई बयान आया और ना कोई उन्होंने प्रतिक्रिया दी।
जिससे लाचार होकर सचान के परिवार वाले झुक गये, उन्होंने अपनी ही जिद छोड़ दी और डॉ. सचान का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हो गये। आखिर कोई कब तक लाश का मुंह देखता रहता। सचान को मौत किस रूप में मिली ये तो अभी संस्पेंस के घेरे में हैं लेकिन उनकी लाश को तो शांति से अंतिम विदाई मिल सकती थी लेकिन वो भी नहीं हुआ।
डॉ. मालती के छलकते आंसू सिर्फ ये नहीं कह रहे थे कि उनका सरपरस्त चला गया बल्कि वो इस चीज को भी बयां कर रहे थे कि उत्तर प्रदेश में सरकार किसी की नहीं सुनती है। वो वही करती है जो वो चाहती है। उसकी लिस्ट में जरूरतमंदों की जरूरत नहीं है।
वो सिर्फ उन्ही की फाइलें खोलती है जिनसे उसे अपना हिसाब चुकता करना होता है। वो कभी भी उन पन्नों को पलटेने की कोशिश नहीं करती है जिन्हें आम और बेबस इंसान पढ़ने को कहता है। फिलहाल सचान की मौत का रहस्य क्या है ये तो किसी को नहीं पता लेकिन सरकार का सचान परिवार के प्रति उदासीनता बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
Monday, 6 June 2011
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